Reliance vs Adani Group: भारत में हरित ऊर्जा क्रांति की शुरुवात!

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हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ग्लासगो (COP26) में, भारत ने 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन (net-zero carbon emissions) प्राप्त करने का संकल्प लिया। केंद्र सरकार 500 गीगावाट (GW) गैर-जीवाश्म ईंधन बिजली उत्पादन की क्षमता स्थापित करने और 2030 तक भारत की ऊर्जा आवश्यकता का 50% नवीकरणीय स्रोतों (renewable sources) से सोर्सिंग करने के लिए प्रतिबद्ध है। एक ही समय सीमा के भीतर अनुमानित 1 बिलियन टन उत्सर्जन को कम करना भारत सरकार का लक्ष्य है। भारत जीवाश्म ईंधन पर निर्भर होने के कारण, इन हरित लक्ष्यों तक पहुंचना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

हमारे देश के दो सबसे बड़े उद्योग समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज और अदानी समूह, आहिस्ता-आहिस्ता विकसित होकर हरित ऊर्जा क्षेत्र पर हावी होने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इस लेख में, हम आपको विस्तृत जानकारी देंगे कि किस प्रकार, भारत में हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए दोनों व्यापारिक घराने काम कर रहे हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Ltd – RIL) ने अत्यधिक महत्वाकांक्षी योजनाओं के साथ हरित ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश की पुष्टि की है। अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने आने वाले अगले तीन वर्षों में सौर, हरित हाइड्रोजन, बैटरी और ईंधन सेल क्षेत्र में $ 10 बिलियन (~ 74,400 करोड़ रुपये) का निवेश करने के रोडमैप का औपचारिक खुलासा किया था। निवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल, ईंधन सेल और ऊर्जा भंडारण बैटरी के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चार “गीगा कारखाने” स्थापित करने की ओर कदम उठाएगा। इसके साथ वे मूल्य-श्रृंखला साझेदारी और भविष्य की प्रौद्योगिकियों को मजबूत करने की दिशा में भी काम करेंगे।

अंबानी ने वार्षिक आम बैठक 2020-21 में घोषणा की, कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने गुजरात के जामनगर में धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स विकसित करना शुरू कर दिया है। यह परिसर 5,000 एकड़ में फैला दुनिया में सबसे बड़ा एकीकृत अक्षय ऊर्जा(renewable power) निर्माण सुविधाओं में से एक में बदल जाएगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज के उत्पादन की कुल लागत को कम करने के लिए स्वदेशी रूप से सौर मॉड्यूल और आवश्यक घटकों के निर्माण का भी प्रयास यह कर रहे है। इस पहल से हमें चीनी उत्पादों पर हमारी निर्भरता कम करने में भी सहायता मिलेगी।

अधिग्रहण और लक्ष्य

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सहायक कंपनियों में से एक, रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर (RNES) ने हाल ही में नॉर्वे स्थित REC Solar Holdings को 771 मिलियन डॉलर (~ 5,740 करोड़ रुपये) में अधिग्रहित किया है। आरईसी सोलर-ग्रेड रॉ पॉलीसिलिकॉन के साथ-साथ सोलर सेल और मॉड्यूल की मुख्य निर्माता कंपनी है। रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर ने 2,755 करोड़ रुपये में स्टर्लिंग एंड विल्सन सोलर में 40% हिस्सेदारी हासिल कर ली है।

2030 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करना यह रिलायंस का लक्ष्य है। वे अपने हाइड्रोजन और सौर इकोसिस्टम को बनाए रखने के लिए कार्बन फाइबर संयंत्रों में भी निवेश कर रहे है। यह पूरा इकोसिस्टम  एक समर्पित अक्षय ऊर्जा(renewable power) परियोजना प्रबंधन और निर्माण प्रभाग द्वारा विकसित और संचालित किया जाएगा। ये कंपनी को 2035 तक net carbon-zero बनने के अपने लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेंगे

एक कंपनी, जो अभी तक तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल्स से अपने राजस्व का ~ 60% उत्पन्न करती है, क्या वह अपनी रणनीतिक योजनाओं को अमल में लाकर net carbon-zero बनने के अपने लक्ष्य को पूरा कर पाएगी ?  यह देखना काफी दिलचस्प होगा।

अदाणी समूह

अदाणी समूह ने हाल ही में सौर, पवन, हरित हाइड्रोजन और ऊर्जा के बुनियादी ढांचे में अगले दस वर्षों में 20 अरब डॉलर (~ 1.4 लाख करोड़ रुपये) निवेश करने की योजना सार्वजनिक की थी। अक्षय ऊर्जा(renewable power) उत्पादन क्षमता की हिस्सेदारी को वर्तमान 21% से बढ़ाकर 63% करना समूह का लक्ष्य है। इसका उद्देश्य 2025 तक अदानी पोर्ट्स को net-zero carbon emitter बनाना और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा(renewable power) के साथ सभी डेटा केंद्रों को शक्ति प्रदान करना है। इसके अलावा, अदानी समूह 2025 तक अपने नियोजित पूंजीगत व्यय (capital expenditure) का 75% हरित प्रौद्योगिकियों पर खर्च करेगा।

अक्टूबर 2021 में, अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने 3.5 बिलियन डॉलर (~ 26,000 करोड़ रुपये) में एसबी एनर्जी इंडिया का अधिग्रहण किया। एसबी एनर्जी इंडिया जापान स्थित सॉफ्टबैंक समूह और भारत के भारती समूह के बीच का संयुक्त उद्यम था। यह भारत में अक्षय ऊर्जा(renewable power) क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है!         

बाजार की संभावना       

2020 तक स्थापित क्षमता के मामले में भारत पवन ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा(renewable power) में चौथे स्थान पर था। इसने सौर ऊर्जा में पांचवां स्थान प्राप्त किया। स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें सब्सिडी और कई लाभ प्रदान कर रही हैं। यह एक अनुमान है कि, 2040 तक कुल बिजली का लगभग 49% नवीकरणीय ऊर्जा(renewable energy) से उत्पन्न होगा। भारत की ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में भी आगे बढ़ने की काफ़ी संभावनाएं हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत को अक्षय ऊर्जा (renewable power) क्षेत्र में पिछले सात वर्षों में कुल लगभग 5.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है। 2028 तक, इस क्षेत्र में कथित तौर पर $500 बिलियन (~ 37.25 लाख करोड़ रुपये) का निवेश देखा जा सकता है। भारत के दो सबसे बड़े बिजनेस टाइकून हरित ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश करते हैं, तो हम अधिक प्रतिस्पर्धा, निवेश और नौकरी के अवसरों का लाभ उठा सकते है। अंबानी और अदानी ने अपनी व्यावसायिक रणनीतियों को पीएम नरेंद्र मोदी के हरित ऊर्जा लक्ष्यों के साथ जोड़ दिया है।

हालांकि, भारत के लिए अपनी हरित ऊर्जा प्रतिबद्धताओं को लागू करना एक कठिन काम होगा। कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार, बड़े निगम और आम जनता को साथ मिलकर काम करना होगा। हमें जलवायु कार्रवाई की तात्कालिकता को पहचानने और व्यापक स्तर पर इसकी वकालत करने की आवश्यकता है। भारत की  बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा(renewable power)  क्षेत्र में तेजी से वृद्धि करने की आवश्यकता है।

भारत हरित ऊर्जा क्रांति का स्वागत कर अपनाने के लिए तैयार है। क्या रिलायंस इंडस्ट्रीज और अदानी समूह वैश्विक अक्षय ऊर्जा (renewable power) क्षेत्र में दिग्गज बन सकते हैं? भारत में हरित ऊर्जा के भविष्य पर आपके क्या विचार हैं? हमें मार्केटफीड ऐप के कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।

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